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जानें क्या हैं Lumpy Skin Disease के लक्षण और बचाव के तरीके ?

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जागरूकता संदेश
Lumpy skin disease (लम्पी स्कीन रोग)

Lumpy Skin Disease लम्पी स्किन रोग cattle गौवंश में वायरस से होने वाला रोग है जो Poxviridae परिवार के एक वायरस के कारण होता है, जिसे Neethling virus भी कहा जाता है।जो मुख्य रूप से मच्छरों, मक्खियों, चिंचड़ों और जुओं द्वारा फैलता है।

lumpy skin disease

रोग के लक्षण- Symptoms of Disease

  • रोगी पशु के आंख, नाक से पानी बहना एवं बुखार।
    पशु की चमड़ी ( स्किन ) पर कठोर गांठे ( लम्प्स ) बन जाती है, इसलिए इसे लम्पी डिजीज (गांठदार त्वचा रोग) कहते हैं।
  • संक्रमित मादा पशुओं में गर्भपात की संभावना रहती है। इसका वायरस श्वसन तंत्र पर भी प्रभाव डाल सकता है।
    रोग का संक्रमण बढ़ने पर नाक एवं मुंह से मवादयुक्त स्त्राव स्त्राविंत हो सकता है। कभी कभी रोग से पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है हालांकि इस रोग मैं मृत्युदर अत्यंत कम (1-5 प्रतिशत ) होती है।
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रोग का बचाव- Disease Prevention

  • पशुशाला एवं आस पास के स्थानों पर साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए एवं पानी का भराव नहीं होने देना चाहिए।
  • टहरे हुए पानी पर लाल दवा का छिड़काव करना चाहिए।
  • उचित कीटनाशकों का उपयोग करके मच्छर, मक्खियों, चिंचड़ों एवं जुओं का प्रभावी नियंत्रण ।
  • नियमित रूप से कीट विकर्षक दवाओं का प्रयोग अथवा नीम की पत्तियों को जलाकर धुंआ कर कीट संचरण कम किया जाना चाहिए।
  • समय-समय पर पशु के रहने के स्थान ( बाड़े ) को 2-3 प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट से विःसंक्रमित किया जाना चाहिए।
  • पशु आवास की दीवारों की दरारों में चूना भर दें जिससे मक्खियों, मच्छर दूर रहें।
  • नये आने वाले पशुओं को कम से कम 15 दिन अन्य पशुओं से अलग रखना चाहिए एवं उनकी जांच करवानी चाहिए।
  • परिसर में आने वाले वाहनों एवं उपकरणों को पूर्णतया निःसंक्रमित-uninfected करना चाहिए।

रोग के लक्षण दिखाई देने पर क्या करे – What to do when symptoms of the disease appear?

  • पशु के रोगग्रस्त होने पर सर्वप्रथम उसे अन्य पशुओं से अलग एवं दूर बांधकर रखें एवं बाहर ना जाने दें।
  • निकटतम पशु चिकित्सालय से सम्पर्क करें एवं पशु चिकित्सक से परामर्श अनुसार उपचार एवं अन्य स्वस्थ पशुवो का बचाव करना चाहिए।
  • प्रभावित क्षेत्र से पशुओं के आवागमन को रोकना चाहिए।
  • रोगी पशु का चारा, पानी, दुग्ध दोहन एवं उपचार स्वस्थ पशुओं से अलग होना चाहिए। रोगी पशु का दुग्ध उबालकर ही काम में लें।
  • रोगी पशुओं के उपचार पश्चात हाथों को सेनिटाइजर से अच्छी तरह साफ करें।
  • टीकाकरण राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार करे।
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लम्पी रोग के संक्रमण से बचाव के लिए उपाय – Measures to prevent the infection of lumpy disease –

  • एक खुराक के लिए एक मुठी तुलसी के पत्ते, 5-5 ग्राम दाल चीनी व सोंठ पाऊडर, 10 नग काली मिर्च के तथा आवश्यकतानुसार गुड़ की मात्रा मिलाकर तैयार कर पशुओं को सुबह-शाम लड्डू बनाकर खिलाया जाना लाभकारी हैं।

लम्पी रोग का संक्रमण हो जाने पर पहले तीन दिवस में क्या करें – What to do in the first three days if there is an infection of lumpy disease. 

  • पान के पत्ते, काली मिर्च, ढेले वाले नमक के 10 – 10 नग को अच्छी तरह पीसकर आवश्यकतानुसार गुड़ में मिलाकर एक खुराक तैयार कर लेबें। प्रतिदिन इस तरह की चार खुराक तैयार कर प्रत्येक तीन – तीन घंटे के अन्तराल पर संक्रमित पशु को खिलावें।

लम्पी रोग होने के 4 से 14 दिनों तक क्या करें – What to do 4 to 14 days after getting lumpy disease

  • नीम व तुलसी के पत्ते ।-। मुद्दी, लहसुन की कली, लौंग, काली मिर्च 10-10 नग, पान के पत्ते 5 नग, छोटे प्याज 2 नग, धनिये के पत्ते व जीरा 5-5 ग्राम तथा हल्दी पाऊडर की 10 ग्राम मात्रा को अच्छी तरह पीसकर गुड ड़ में मिलाकर एक खुराक तैयार कर लेवें।
  • प्रतिदिन की तीन खुराक कर सुबह; शाम व रात को लड्डू बनाकर खिलाया जाना लाभकारी है।

फिटकरी के पानी से पशु  को नहलाएं :-

  • रोगी पशुओं को 25 लीटर पानी में एक मुद्री नीम की पत्ती का पेस्ट एवं अधिकतम 100 ग्राम॑ फिटकरी मिलाकर नहलाना लाभकारी हैं, इस घोल से नहलाने के 5
    मिनट बाद सादे पानी से नहलाना चाहिए।
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पशु बाड़े में धुआं करें –

  • संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के छाणे/कण्डे/उपले जलाकर उसमें गुगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते, लोबान को डालकर सुबह शाम धुआँ करें मक्खी – मच्छर का प्रकोप कम होता है।

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